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गोत्र कितने होते हैं: जानिए कितने प्रकार के गोत्र होते हैं और उनके नाम

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गोत्र कितने होते हैं: पूरी जानकारी गोत्र का अर्थ और महत्व गोत्र एक ऐसी परंपरा है जो हिंदू धर्म में प्रचलित है। गोत्र एक परिवार को और उसके सदस्यों को भी एक जीवंत संबंध देता है। गोत्र का अर्थ होता है 'गौतम ऋषि की संतान' या 'गौतम ऋषि के वंशज'। गोत्र के माध्यम से, एक परिवार अपने वंशजों के साथ एकता का आभास करता है और उनके बीच सम्बंध को बनाए रखता है। गोत्र कितने प्रकार के होते हैं हिंदू धर्म में कई प्रकार के गोत्र होते हैं। यहां हम आपको कुछ प्रमुख गोत्रों के नाम बता रहे हैं: भारद्वाज वशिष्ठ कश्यप अग्निवंशी गौतम भृगु कौशिक पुलस्त्य आत्रेय अंगिरस जमदग्नि विश्वामित्र गोत्रों के महत्वपूर्ण नाम यहां हम आपको कुछ महत्वपूर्ण गोत्रों के नाम बता रहे हैं: भारद्वाज गोत्र वशिष्ठ गोत्र कश्यप गोत्र अग्निवंशी गोत्र गौतम गोत्र भृगु गोत्र कौशिक गोत्र पुलस्त्य गोत्र आत्रेय गोत्र अंगिरस गोत्र जमदग्नि गोत्र विश्वामित्र गोत्र ब्राह्मण गोत्र लिस्ट यहां हम आपको कुछ ब्राह्मण गोत्रों के नाम बता रहे हैं: भारद्वाज गोत्र वशिष्ठ गोत्र कश्यप गोत्र भृगु गोत्र आत्रेय गोत्र अंगिरस गोत्र कश्यप गोत्र की कुलदे...

मानव शरीर में मस्तिष्क से लेकर चरण तक राशि स्वरूप - मानव शरीर में राशि।

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श्रीगणेशाय नमः      मानव शरीर में मस्तिष्क से लेकर पैर तक सभी 12 राशियाँ समाहित हैं तथा इस पर किसी ग्रह की दृष्टि पढ़ने से यह प्रभावित भी रहती है, जिसके कारण वह अंग में समस्याएं आ सकती हैं। इस रहस्यमय और अनूठे संबंध को समझने के लिए, हम इस अद्वितीय राशि-स्वरूप की गहन अन्वेषण को देखेंगे, जो मानव स्वास्थ्य और तंत्रिका संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह श्लोक क्रमशः 'बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्' के "राशिप्रभेदाध्यायः" में श्लोक 4 से लेकर २४ तक के  हैं। इस पुस्तक के लेखक ऋषि पराशर जी हैं।  शीर्षाननौ तथा बाहू हत्क्रोडकटिवस्तयः ।  गुह्योरुजानुयुग्मे वै युगलें जङ्घके तथा ।।४।। अर्थात:- जन्मलग्न से उक्त बारह राशियाँ क्रम से शिर, मुख, दोनों भुजायें, हृदस, पेट, कटि, बस्ति (नाभिलिंग के मध्यभाग को बस्ति कहते हैं), गुह्यस्थान (स्त्री-पुरुष के चिह्न), उरु, दोनों जानु, जंघे हैं।।४।। चरणौ द्वौ तथा लग्नात् ज्ञेयाः शीर्षादयः क्रमात् । चरस्थिरद्विस्वभावाः क्रूराक्रूरौ नरस्त्रियौ ।।५।। अर्थात:- दोनों चरण कालपुरुष के अंग में हैं। मेषादि राशियों की क्रम से चर, स्थिर, ...