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पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य श्रीराम शर्मा का जन्म कब हुआ था ?

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 पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का जन्म आश्विन कृष्ण त्रयोदशी, विक्रमी संवत 1968 (20 सितम्बर 1911) को आगरा जिले के आंवल खेड़ा नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम पं. रूप किशोर शर्मा एवं माता का नाम दानकुंवरी देवी थी। विलक्षणताएं इनके जन्म के साथ ही दृष्टिगोचर होने लगी थी। भगवान राम व कृष्ण के जन्म के समान ही इनके घर भी साधु-सन्तों का आना और घंटों प्रतीक्षारत रहकर दर्शनोपरांत जाने की कई घटनाएं हुई। कभी माता एवं कभी पिता को कई अलौकिक अनुभूतियां हुई। इनकी विलक्षणता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बचपन से ही साधना-समाधि का खेल खेलते। एकांत में आसन लगाकर बैठ जाते। आठ वर्ष की आयु में ही इन्होंने हिमालय की ओर रूख कर लिया था। बाद में इन्हें समझा-बुझाकर वापस किया गया। इसी अवस्था में पं. मदन मोहन मालवीय जी जो इनके पिता के मित्र थे, द्वारा गायत्री मंत्र की दीक्षा एवं यज्ञोपवीत संस्कार हुआ। श्रीमद्भागवत एवं संस्कृत व्याकरण आदि का ज्ञान एवं आध्यात्मिक ग्रंथों में अभिरूचि इन्हें पिता के माध्यम से प्राप्त हुआ। गायत्री मंत्र की दीक्षा के पश्चात् महामना जी द्वारा दिये गये संदेशों को जीवन म...

संस्कार: हिंदू जीवन के आधार स्तंभ | 16 संस्कारों के नाम

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क्या आपने कभी महसूस किया है कि आपके दादा-दादी की पीढ़ी में एक निश्चित शांति और संतुष्टि थी, जो आज की भागदौड़ भरी दुनिया में दुर्लभ है? क्या आप कभी आश्चर्य करते हैं कि जीवन का उद्देश्य क्या है, और हम इस संसार में क्यों हैं? यदि हाँ, तो आप शायद अनजाने में "संस्कार" की प्राचीन, लेकिन अविश्वसनीय रूप से प्रासंगिक दुनिया की ओर आकर्षित हो रहे हैं। हिंदू धर्म की धरती पर जन्मे ये गहन अनुष्ठान केवल धार्मिक परंपराएँ नहीं हैं; वे जीवन यात्रा के हर पड़ाव पर मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं। जन्म से पहले गर्भ में ही शुरू होकर, ये पवित्र समारोह हमें परिष्कृत करने, उच्चतम मूल्यों को ग्रहण करने और एक स्वस्थ, खुशहाल जीवन जीने का रास्ता दिखाते हैं। लेकिन आधुनिक समय में, क्या इन परंपरागत संस्कारों का कोई स्थान है? या वे अतीत के अवशेष बनकर रह गए हैं? इस ब्लॉग में, हम इसी रहस्य को उजागर करने के लिए एक रोमांचक यात्रा पर निकलेंगे। हम संस्कारों के गहरे सार का पता लगाएंगे, यह समझेंगे कि वे हमारे दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं, और देखेंगे कि कैसे उन्हें आधुनिक समय में भी प्रासंगिक बनाया जा सक...

ब्रह्म मुहूर्त का रहस्य | ब्रह्म मुहूर्त में उठने के फायदे | ब्रह्म मुहूर्त का महत्व 400 शब्द

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"ब्रह्मामुहूर्त: सुबह का सबसे महत्वपूर्ण समय" "ब्रह्मामुहूर्त" सुबह का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है जो रात्रि के अंत और सूर्योदय के बीच का समय होता है। इस समय को वेदों में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है और इसे आत्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। ब्रह्मामुहूर्त में ध्यान, प्रार्थना, योग आदि की अभ्यास करने से मानसिक और आत्मिक विकास होता है और यह समय नए दिन की शुरुआत के लिए अत्यंत उपयुक्त होता है। इस समय का सही उपयोग करने से व्यक्ति को शांति, सकारात्मकता और ऊर्जा मिलती है जो उसे पूरे दिन के लिए तैयार और प्रसन्न रखती है। "जानिए ब्रह्मामुहूर्त के फायदे और महत्व" ब्रह्मामुहूर्त का समय सूर्योदय से पहले का होता है और यह समय आध्यात्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस समय का सही उपयोग करने से व्यक्ति को अनेक फायदे मिलते हैं। 1. मानसिक शांति: ब्रह्मामुहूर्त में ध्यान और प्रार्थना करने से मानसिक चिंताओं से छुटकारा मिलता है और मन शांत होता है। 2. आत्मिक विकास: इस समय में योग और आध्यात्मिक अभ्यास करने से आत्मा का विकास हो...

गोत्र कितने होते हैं: जानिए कितने प्रकार के गोत्र होते हैं और उनके नाम

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गोत्र कितने होते हैं: पूरी जानकारी गोत्र का अर्थ और महत्व गोत्र एक ऐसी परंपरा है जो हिंदू धर्म में प्रचलित है। गोत्र एक परिवार को और उसके सदस्यों को भी एक जीवंत संबंध देता है। गोत्र का अर्थ होता है 'गौतम ऋषि की संतान' या 'गौतम ऋषि के वंशज'। गोत्र के माध्यम से, एक परिवार अपने वंशजों के साथ एकता का आभास करता है और उनके बीच सम्बंध को बनाए रखता है। गोत्र कितने प्रकार के होते हैं हिंदू धर्म में कई प्रकार के गोत्र होते हैं। यहां हम आपको कुछ प्रमुख गोत्रों के नाम बता रहे हैं: भारद्वाज वशिष्ठ कश्यप अग्निवंशी गौतम भृगु कौशिक पुलस्त्य आत्रेय अंगिरस जमदग्नि विश्वामित्र गोत्रों के महत्वपूर्ण नाम यहां हम आपको कुछ महत्वपूर्ण गोत्रों के नाम बता रहे हैं: भारद्वाज गोत्र वशिष्ठ गोत्र कश्यप गोत्र अग्निवंशी गोत्र गौतम गोत्र भृगु गोत्र कौशिक गोत्र पुलस्त्य गोत्र आत्रेय गोत्र अंगिरस गोत्र जमदग्नि गोत्र विश्वामित्र गोत्र ब्राह्मण गोत्र लिस्ट यहां हम आपको कुछ ब्राह्मण गोत्रों के नाम बता रहे हैं: भारद्वाज गोत्र वशिष्ठ गोत्र कश्यप गोत्र भृगु गोत्र आत्रेय गोत्र अंगिरस गोत्र कश्यप गोत्र की कुलदे...