स्वामी कुवलयानन्द के बारे मे हिन्दी मे

swami kuvalayananda in hindi | swami kuvalayananda biography in hindi  |

 स्वामी कुवलयानन्द जी का जन्म 13 जुलाई 1882 में हुआ। स्वामी जी विद्यार्थी जीवन में एक मेधावी छात्र के रूप में जाने जाते थे। ये संस्कृत में अग्रणी छात्र के रूप में रहे। मैट्रिक परीक्षा के बाद इन्होंने संस्कृत विषय में छात्रवृत्ति प्राप्त की। इन्होंने मैट्रिक में राज्य स्तर पर सभी विद्यार्थियों में सर्वाधिक अंक प्राप्त किये। विद्यार्थी जीवन में ये लोकमान्य तिलक और श्री अरविन्द जैसे राजनीतिज्ञों से अत्यधिक प्रभावित हुए। इनसे प्रभावित होकर इन्होंने मानवता की सेवा करने का अपना विचार बनाया। इनके पहले गुरु राजरत्न प्रोफेसर मालिकराय थे। इनसे इन्होंने 1907 से 1910 तक शारीरिक शिक्षा में प्रशिक्षण प्राप्त किया। 1919 में ये माधवदास जी महाराज के सम्पर्क में आये। इनसे इन्होंने योग के गुप्त रहस्यों को जाना और अन्य यौगिक क्रियाएं सीखी। माधवदास को शिक्षा से प्रभावित होकर इन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन में योग की वैज्ञानिक विधि को सामान्य मनुष्यों तक पहुंचाने का मन बनाया। ये गुरु में श्रद्धा रखने से यौगिक विधियों के पूर्ण श्रद्धा से भर उठे। इनके विचार में योग सामान्य मनुष्यों को भी ऊंचे स्थान तक पहुंचा सकता है। इसके बाद इन्होंने मानव शरीर-शास्त्र का विस्तृत अध्ययन किया और यौगिक क्रियाओं का शरीर पर पड़ने वाला प्रभाव नवीन विज्ञान की विधियों के द्वारा प्रयोगात्मक रूप में प्रारंभ किया। इनके प्रयोग मुख्यतया योग की दो क्रियाओं उड्डीयान बन्ध और नेति के ऊपर रहे। इनका प्रयोग करते समय इन्होंने चिकित्सकों एक्स रेज आदि की सहायता लेकर शरीर पर पड़ने वाले इन क्रियाओं के प्रभाव को देखा। इसी प्रकार इन्होंने आसन, प्राणायाम, बन्ध मुद्राएं एवं क्रियाओं के प्रभाव को प्रयोगशाला में परखा।


सन् 1924 में इन्होंने मन बनाया कि योग विषय पर अनुसंधान कार्य होना चाहिए। इसी भाव के साथ इन्होंने 1929 में ही कैवल्य धाम योग आश्रम की लोनावाला में स्थापना की। यहीं से इन्होंने योग मीमांसा नामक पत्रिका निकालना प्रारंभ किया जिसमें योग से संबंधित शोध पत्र होते थे। जिनका आधार वैज्ञानिक और लोक प्रचलित दोनों प्रकार का होता था। इसमें शरीर क्रिया वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक दोनों ही प्रकार के लेख होते थे।


पोरबन्दर के राजा नटवरसिंह के नाम पर इन्होंने कैवल्य धाम में ही राजा नटवर सिंह शरीर विकृति विज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना की। आगे चलकर इसका काफी विकास हुआ। इसमें बहुत से विभाग खोले गये। जैसे Biochemical, Electrophyiological, Radiological, Psychologi- cal & Physical Education.


सन् 1932 में बम्बई में कुछ लोगों के अनुरोध पर इन्होंने कैवल्य धाम की शाखा खोली। इसके लिए इन्होंने आगे चलकर 1936 में चौपाटी के पास सरकार से भूमि प्राप्त की और इस पर Bombay, Helth Centre नाम से एक केन्द्र खोला। आगे चलकर श्री चुन्नीलाल मेहता के दान से भवन बनाकर उनके बेटे की स्मृति में इसका नाम ईश्वरदास चुन्नीलाल यौगिक स्वास्थ्य केन्द्र रखा। इसी कड़ी में सौराष्ट्र के राजकोट नामक शहर में 1943 में कैवल्य धाम की एक शाखा खेली। 1993 ई. में भी इन्होंने यौगिक साहित्य और उसमें नवीन वैज्ञानिक अनुसंधान करने के लिए कैवल्य धाम से ही श्री माधव योग मन्दिर समीति के नाम से एक समिति का गठन किया। इस समिति में आजीवन सदस्य के रूप में अपने विषयों के विशेषज्ञों को रखा गया। यहां Physical Biological तथा Social Science के क्षेत्र में विद्वान् भी थे। यहां होने वाले साहित्यिक व वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए यह समिति पूर्णरूपेण जिम्मेदार थी।


योग चिकित्सकीय महत्व को देखते हुए सन् 1961 ई. में इन्होंने लोनावाला में ही श्रीमती अमोलक देवी तीरथराम गुप्ता यौगिक अस्पताल की स्थापना की। यह स्वामी कुवलयानन्द जी द्वारा स्थापित पहला यौगिक अस्पताल था। सन् 1963-64 में इन्होंने दमा के ऊपर एक अनुसंधान योजना तैयार की और यौगिक चिकित्सा का उस पर प्रभाव सफलतापूर्वक प्रमाणित किया।


1950 में लोनावला में इन्होंने योग और सांस्कृतिक अध्यापन के लिए गोवर्धनदास कॉलेज की स्थापना की। इस कॉलेज की स्थापना का उद्देश्य युवकों में सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और मानवीय गुणों का विकास करना था। इसमें महत्वपूर्ण योजनाएं स्वामी जी की देखरेख में ही चलती थी। योग के क्षेत्र में इसमें महत्त्वपूर्ण योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया।

स्वामी जी के कार्यों को देखकर अनेक राज्य सरकारें इनसे प्रभावित हुई। बहुत सी सरकारों ने इन्हें अपने यहां योग एवं चिकित्सा के प्रचार-प्रसार हेतु बुलाया। विभिन्न शिविरों में इन्होंने शिक्षकों को योग में प्रशिक्षित किया। देश-विदेश में कैवल्यधाम से निकलते हुए व्यक्ति योग शिक्षको के पदों पर नियुक्त हुए। स्वामी कुवलयानन्द जी भारतीय योग विज्ञान में पूर्ण श्रद्धा रखते थे। उनके अनुसार भारत की यह एक महान धरोहर थी।


प्रमुख प्रश्न (FAQ) - स्वामी कुवलयानन्द जी


स्वामी कुवलयानन्द जी कौन थे?

स्वामी कुवलयानन्द जी एक प्रमुख योग गुरु और चिकित्सक थे जो योग और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया।

स्वामी कुवलयानन्द जन्म कब हुआ था?

स्वामी कुवलयानन्द जी का जन्म 13 जुलाई 1882 में हुआ था।

स्वामी कुवलयानन्द के कार्यों में कौन-कौन सी विशेषताएं थीं?

उन्होंने योग शिक्षा, चिकित्सा, और आध्यात्मिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई योगिक क्रियाएं और विज्ञानिक अध्ययन किए।

स्वामी कुवलयानन्द के द्वारा स्थापित किए गए संस्थान थे?

स्वामी जी ने कैवल्य धाम योग आश्रम और अनेक योगिक अस्पतालों की स्थापना की, जिसमें चिकित्सा और अनुसंधान का कार्य किया जाता है।

स्वामी कुवलयानन्द ने किस विषय पर पत्रिका निकाली?

स्वामी जी ने "योग मीमांसा" नामक पत्रिका निकाली, जिसमें योग से संबंधित वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक अध्ययन प्रकाशित होते थे।

स्वामी कुवलयानन्द की प्रमुख संगठनाएं कौन-कौन सी थीं?

स्वामी जी ने कैवल्यधाम समिति और श्री माधव योग मन्दिर समिति जैसी महत्वपूर्ण संगठनाएं स्थापित की।

स्वामी कुवलयानन्द कि किस विषय में विशेष श्रद्धा थी?

स्वामी जी को भारतीय योग विज्ञान में पूर्ण श्रद्धा थी, और उनके अनुसार योग भारत की एक महान धरोहर था।

Comments

Popular posts from this blog

श्री शिव रुद्राष्टकम् हिंदी अर्थ सहित || नमामि शमीशान निर्वाण रूपं अर्थ सहित

गोत्र कितने होते हैं: जानिए कितने प्रकार के गोत्र होते हैं और उनके नाम

शिव महिम्न स्तोत्रम् | हिन्दी अर्थ सहित